Moksh Dham Gaya jee

।। गया जी तीर्थ पुरोहित ।।

We are the Purohit and Pandaji of Gaya Ji (Gaya Dham) Tirth Kshetra for whole Gujrat Gour, Utranchal, Rajshthan, West Benga,l Uttar Pradesh, Madhya Pradesh, Jharkhand, Bihar and all Hindu who lives in India and NRI. We are providing the services of Pind Daan (Pind Dann) in Gaya, Shradh in Gaya and Dosh Nirwaran Pooja, Gujarati Pandit in Gaya NOTE:

Rajasthan ( BARMER, JODHPUR , AJMER )


UTTRAKHAND -KUMAUNI PUROHIT, NANITAL

Whole Gujrati Purohit

मैं गयाजी तीर्थ में पितरों निमित होने वाले श्राद्ध , गया श्राद्ध , पितृदोष निवारण पूजा ,त्रिपिंडी ,नारायणबली श्राद्ध ,विष्णुपाद गया जी में होने वाले मंगलकारिक पूजाओ का सेवा प्रदान करता हूं । हम व्यक्तिगत रूप से या समूह के लिये होटल ,धर्मशाला ,टैक्सी ,गाइड ,व अन्य सेवाओं की व्यवस्था भी करते है ।

मृत व्यक्ति के लिये गया जी मे श्राद्ध करना उनके लिये मुक्ति का मार्ग प्रशश्त करना हमारा कर्तव्य है ,इस कार्य को विधिवत करने पर मृत व्यक्तियों को मोक्ष की प्राप्ति होती है ,वे सततः प्रसन्न होते है ,आशीर्वाद की वर्षा करते है ,प्रायः परम्परा में देखा गया है कि शादी व्याह यानी नवीन जीवन का आरम्भ सनातन धर्म मे पित्र पूर्वजों के पूजा कर ,उनके आशीर्वाद पाए बिना नही करते ।

Services

What We Do?

Gaya Shradh Tarpan

  • ॐ नमो नारायणाय गदाधराय नमः सत्य सनातन के महानुभावो तथा वेद- पुराणों ने मातृ:देवो भवः पितृ: देवो भवः कहा है बल्कि इन्हें ही प्रथम पूज्य देव तथा श्रेष्ठ माना है । क्या हम इनकी अवहेलना करके भौतिक या आध्यात्मिक सुख पा सकते है ? नहीं हम यह जान ले कि समस्त उन्नति के मूल का भंडार इनके प्रति हमारी सेवा ,कर्तव्य व् अनन्य श्रद्धा में ही समाहित है ।

About Sharad

  • शास्त्रों में श्राद्ध का महत्त्व दो प्रकार से बताया गया है प्रथम श्राद्ध को करने से क्या-क्या लाभ होते हैं और द्वितीय श्राद्ध न करने से क्या क्या हानि होती है ? जहां तक श्राद्ध से होने वाले लाभों का प्रश्न है तो यह भी दो प्रकार से होते हैं पितरों को लाभ और श्राद्ध कर्ता को लाभ । पितरों को श्राद्ध से क्या-क्या लाभ होते हैं

Pitri Dosh Puja

  • हमारे ये ही पूर्वज सूक्ष्म व्यापक शरीर से अपने परिवार को जब देखते हैं ,और महसूस करते हैं कि हमारे परिवार के लोग ना तो हमारे प्रति श्रद्धा रखते हैं और न ही इनमें कोई भाव या स्नेह है और ना ही किसी भी शुभ अवसर पर ये हमको याद करते हैं,ना ही अपने ऋण चुकाने का प्रयास ही करते हैं ,और ना ही दान -पुण्य , तिलतर्पण ,ब्राह्मण भोजन तो ये आत्माएं दुखी होकर अपने वंशजों को श्राप दे देती हैं,जिसे "पितृ- दोष" कहा जाता है।

PITRA DOSH NIWARAN PUJA

  • शास्त्रों में श्राद्ध का महत्त्व दो प्रकार से बताया गया है प्रथम श्राद्ध को करने से क्या-क्या लाभ होते हैं और द्वितीय श्राद्ध न करने से क्या क्या हानि होती है ? जहां तक श्राद्ध से होने वाले लाभों का प्रश्न है तो यह भी दो प्रकार से होते हैं पितरों को लाभ और श्राद्ध कर्ता को लाभ । पितरों को श्राद्ध से क्या-क्या लाभ होते हैं इसका वर्णन करते हुए महर्षि अत्रि लिखते हैं कि पितर श्राद्ध में उपयुक्त ब्राह्मण को खिलाए गए भोजन के ग्रासों से दैदीप्यमान तेज से युक्त होतें हैं

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